“नरेंद्र मोदी” तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात की तारीफ करने मात्र पर वर्ष 2010 में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम को अपना पद गंवाना पड़ा थाl आज सात वर्ष बाद 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जमीयत उलमा ए हिंद के एक प्रतिनिधि मंडल ने देवबंद आने का न्योता दिया है।
इस न्यौते ने जहां एक ओर सबको चौकाया है, वहीं यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या देवबंदी उलमा की सोच में भी नरेंद्र मोदी को लेकर कोई बदलाव आया है। हालांकि जमीयत उलमा ए हिंद के ही मौलाना अरशद मदनी गुट के उलमा अभी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन महासचिव महमूद मदनी गुट की प्रतिक्रिया इस पर सकारात्मक है।
तीन तलाक सहित विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान हाल ही में जमीयत उलमा-ए हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें देवबंद आने का न्यौता दिया है। PM ने हल्की मुस्कान के साथ इसपर खुशी का इजहार करते हुए स्वीकृति भी दिया है।
दिसंबर 2010 में दारुल उलूम के मोहतमिम गुलाम मोहम्मद ने उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। जिसके कारण मंजलिस ए शूरा की बैठक के बाद उन्हें अपना पद तक गंवाना पड़ा था। पूर्व सांसद और जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी को गुजरात दौरे में सरकारी मेहमाननवाजी लेने पर विरोध झेलना पड़ा था।
केन्द्र में भाजपा सरकार बनने के बाद भी केन्द्र सरकार की कई योजनाओं और घोषणाओं का दारुल उलूम और उलमाओं ने मजबूती के साथ विरोध किया। मदरसों के आधुनिकीकरण, योग, सूर्य नमस्कार सहित कई मुद्दों पर यहां से तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। ऐसे में जमीयत का PM को दिया गया न्यौता सबको चौंका रहा है।
जमीयत उलेमा ए हिंद महमूद मदनी गुट के कोषाध्यक्ष हसीब सिद्दीकी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दावत देने के पीछे कोई खास मकसद नहीं है। हमारे बुलाने पर वह आते हैं तो उनसे देवबंद के डेवलपमेंट की बात की जाएगी।
उधर, जमीयत उलेमा-ए हिंद अरशद मदनी गुट के प्रेस सचिव फजलुर्रहमान का कहना है कि ना तो हमने PM को बुलाया है और न ही कुछ बता सकते हैं। प्रधानमंत्री के देवबंद आने पर इस्तकबाल कौन करेगा यह वही बता सकता है जिन्होंने उनको बुलाया होगा।
3 मई को जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष कारी उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व में 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल PM मोदी से मिलने पहुंचा था। दो घंटे की इस मुलाकात में तीन तलाक, गोरक्षा के नाम पर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार सहित अन्य कई मुद्दों पर चर्चा हुयी थी और इस दौरान ही उन्हें देवबंद आने का न्यौता भी दिया गया था।