
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के 20 माह पहले अपनी कैबिनेट में तीसरा फेरबदल करते हुए 4 मंत्रियों को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया तथा 9 नए चेहरों को शामिल किया। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (48), पीयूष गोयल (53), निर्मला सीतारमण (58) और मुख्तार अब्बास नकवी (59) को उनके प्रदर्शन के आधार पर तरक्की देते हुए कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। इसी नई कैबिनेट पर न्यू इंडिया को लेकर PM के तय टारगेट को पूरा करने का जिम्मा होगा। इनमें मात्र तीन चुनावी राज्यों से हैं जबकि चार पूर्व IAS, IPS और IFS हैं।
नये चेहरों में पूर्व IFS हरदीप सिंह पुरी (65), पूर्व IAS आरके सिंह (64) एवं अल्फाेन्स कन्ननथानम (64) तथा पूर्व IPS रहे सत्यपाल सिंह (62) एक्सपर्ट्स के रूप में, शिव प्रताप शुक्ल (65), अश्विनी कुमार चौबे (64) तथा डॉ. वीरेंद्र कुमार (63) एक्सपीरियंस्ड के रूप में तथा अनंत कुमार हेगड़े (49) व गजेंद्र सिंह शेखावत (49) एनर्जेटिक व्यक्तित्व के रूप में स्थान मिला है।
संविधान के मुताबिक मंत्रिमंडल में मंत्रियों की लिमिट लोकसभा की कुल स्ट्रैंथ (545) से 15% ज्यादा नहीं हो सकती, जो 81 है। मौजूदा फेरबदल में 6 ने इस्तीफा दिया, 4 को प्रमोशन मिला और 9 नए मंत्री बने। कुल मंत्रियों की संख्या 76 हो गयी है। यानी अभी 5 मंत्री और बनाए जा सकते हैं। जेडीयू और एआईएडीएमके को इस बार सरकार में जगह नहीं मिली। संभव है कि चुनाव से पहले समीकरण साधने के लिए दोनों को कैबिनेट में हिस्सेदारी दी जाए।
आर.के.सिहं आरा, बिहार से लोकसभा सांसद हैं. 1975 बैच (बिहार काडर) के पूर्व आईएएस अधिकारी सिंह ने दिल्ली के सेंट स्टीफेन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में पढ़ाई की है फिर कानून में बैचलर डिग्री हासिल की वह नीदरलैंड की आरवीबी ड्वेल्फ यूनिवर्सटी से भी पढ़ाई कर चुके हैं. अपने करियर में वह कई अहम पदों पर रहते हुए भारत के गृह सचिव भी रह चुके हैं.
अश्विनी चौबे बक्सर, बिहार से लोकसभा सांसद हैं. लगातार 5 बार बिहार विधानसभा में विधायक रहे हैं. उन्होंने प्रदेश में 8 वर्ष तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जनस्वास्थ्य, इंजिनियरिंग जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाली. पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे चौबे जेपी आंदोलन में भी सक्रिय रहे हैं.
सत्यपाल सिंह उत्तर प्रदेश के बागपत से लोकसभा सांसद हैं. महाराष्ट्र कैडर से 1980 बैच के आईपीएस सत्यपाल सिंह मुंबई, पुणे और नागपुर के पुलिस कमीश्नर रह चुके हैं. इन्हें 1990 के दौर में मध्यप्रदेश और आंध्र प्रदेश के नक्सली इलाकों में काम करने के लिए भारत सरकार की ओर से 2008 में आंतरिक सुरक्षा सेवा मेडल प्रदान किया जा चुका है.
अनंत कुमार हेगड़े कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ से सांसद हैं. हेगड़े पहली बार 28 साल की उम्र में सांसद बने थे. पांचवीं बार संसद में पहुंचे हेगड़े को ग्रामीण भारत का अच्छा जानकार माना जाता है. वह कदंम्ब नाम के NGO के संस्थापक भी हैं. अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान हेगड़े कई समितियों के सदस्य रहे हैं.
गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान के जोधपुर से लोकसभा सांसद हैं. वह वित्त मामलों पर बनी संसदीय समिति के सदस्य और फेलोशिप कमिटी के चेयरमैन हैं. सोशल मीडिया पर खासे लोकप्रिय हैं. उन्होंने जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी से फिलॉस्फी में एमए और एमफिल की है. शेखावत खेलों में भी खासी रूचि रखते हैं.
वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद हैं. 6 बार से लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे कुमार दलित समुदाय से आते हैं. 70 के दशक में जेपी आंदोलन से जुड़े रहे हैं. श्रम मामलों पर संसद की स्थायी समिति के चेयरमैन रह चुके हैं. लेबर एंड वेलफेयर और एससी-एसटी वेलफेयर कमिटी के सदस्य भी रहे हैं.
शिव प्रताप शुक्ला उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं. वह लगातार चार बार विधायक और UP सरकार में आठ साल तक कैबिनेट मंत्री रहे. उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है. 1970 के दशक में छात्र नेता के तौर पर राजनीति में शुरुआत करनेवाले शुक्ला आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में बंद थे.
अल्फोंज कन्ननाथनम केरल कैडर के 1979 बैच के पूर्व आईएएस ऑफिसर और वर्तमान में वकील हैं. डीडीए के कमिश्नर रह चुके अल्फोंज ने अपने डीडीए कमिश्नर के कार्यकाल में 15, 000 अवैध इमारतों का अतिक्रमण हटाया था, जिसके बाद वह दिल्ली में डिमॉलिशन मैन के रूप में मशहूर हो गए थे. अल्फोन्स ने ‘मेकिंग अ डिफरेंस’ नामक पुस्तक भी लिखी है, जो बेस्टसेलिंग किताब बनी.
हरदीप सिंह पुरी 1974 के बैच के पूर्व भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं. पुरी को विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों का जानकार माना जाता है. हरदीप पुरी पूर्व में विकासशील देशों के रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम (RIS) थिंक टैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा वह न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय शांति संस्थान (IPI) के उपाध्यक्ष भी रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फेरबदल पर ट्वीट किया कि जिन लोगों ने आज शपथ ली है, उनका एक्सपीरियंस और ज्ञान कैबिनेट की ताकत में इजाफा करेगा। कलराज मिश्र, बंडारू दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी, फग्गन सिंह कुलस्ते, संजीव कुमार बाल्यान और महेंद्र नाथ पांडेय ने अपना त्यागपत्र फेरबदल के पूर्व ही दे दिया था
शपथ ग्रहण समारोह में मोदी के दाहिनी तरफ अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, थावरचंद गहलोत, कलराज मिश्र, अनंत कुमार और जेपी नड्डा बैठे थे। स्मृति ईरानी, प्रकाश जावड़ेकर साथ बैठे थे। उनकी पीछे की कतार में राज्यवर्धन सिंह राठौर, मनोज सिन्हा बैठे थे। एक अलग कतार में रामविलास पासवान, मेनका गांधी, रविशंकर प्रसाद, अशोक गजपति राजू, हरसिमरत कौर और चौधरी बीरेंद्र सिंह बैठे थे।
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